हमारी आह में शायद असर बाक़ी नहीं
बारिश इसीलिए जल्दी आती नहीं
उम्मीदें हर सुबह ताज़ी अंगड़ाईयां लेतीं
जम्हाईयां बदलते मौसम का शुबहा करातीं
मासूम आंखें, ढके आसमान को तकती हैं
पर बारिश तो अपने शहर जल्दी आती नहीं
बादलों को किसी और गली, किसी और शहर जाना था
उन्हें किसी और छत का कर्ज़ निभाना था
हमने आँखों से उमड़ते दरिया को रोके रखा
पर बारिश तो हमारे पते पर बेदर्दी आती नहीं
बादल दिखते हैं मस्ताने, मतवाले
पर होते हैं सख्त सयाने
झलक दिखला के सरक लेते हैं
उस घर को पहले भिगोते हैं
जिसमे होते हैं दिलजले आशिक़ पुराने
हमारी आह में शायद असर बाक़ी नहीं है
बारिश इसीलिए जल्दी आती नहीं है
चिलचिलाती धूप, गर्म हवाऐं, मुरझाते फूल
तलहटी झलकाते ताल,
पानी को तरसते खेत, मरुस्थल में सुलगती रेत
सभी की है गुहार, मेघ अब तो बरस जाओ
लेकिन जो बादल को बरसने पर मजबूर कर दे
वो दिल में निकलती, आह तो ढूंढ के लाओ
हमारी आह में शायद असर बाक़ी नहीं है
बारिश इसीलिए जल्दी आती नहीं है
हमारी आह में शायद.........
बारिश इसीलिए जल्दी आती नहीं
उम्मीदें हर सुबह ताज़ी अंगड़ाईयां लेतीं
जम्हाईयां बदलते मौसम का शुबहा करातीं
मासूम आंखें, ढके आसमान को तकती हैं
पर बारिश तो अपने शहर जल्दी आती नहीं
बादलों को किसी और गली, किसी और शहर जाना था
उन्हें किसी और छत का कर्ज़ निभाना था
हमने आँखों से उमड़ते दरिया को रोके रखा
पर बारिश तो हमारे पते पर बेदर्दी आती नहीं
बादल दिखते हैं मस्ताने, मतवाले
पर होते हैं सख्त सयाने
झलक दिखला के सरक लेते हैं
उस घर को पहले भिगोते हैं
जिसमे होते हैं दिलजले आशिक़ पुराने
हमारी आह में शायद असर बाक़ी नहीं है
बारिश इसीलिए जल्दी आती नहीं है
चिलचिलाती धूप, गर्म हवाऐं, मुरझाते फूल
तलहटी झलकाते ताल,
पानी को तरसते खेत, मरुस्थल में सुलगती रेत
सभी की है गुहार, मेघ अब तो बरस जाओ
लेकिन जो बादल को बरसने पर मजबूर कर दे
वो दिल में निकलती, आह तो ढूंढ के लाओ
हमारी आह में शायद असर बाक़ी नहीं है
बारिश इसीलिए जल्दी आती नहीं है
हमारी आह में शायद.........
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