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Friday 17 March 2017

काश कोई आईना..........

मुझे मेरे 'आप'  से रूबरू करा जाता
काश कोई आईना अपना काम कर जाता

मेरे प्यार,  मेरी कशिश,  मेरे जुनून और
मेरी दीवानगी को पहचान पाता
काश कोई आईना अपना काम कर जाता

मेरी नादानीयों,  मेरी नाकामियों और
मेरी  ग़फलतों को समझ पाता
काश कोई आईना अपना काम कर जाता

मेरे अहम,  मेरे बैर, मेरे द्वेष और
मेरे अंदर की सारी ख़ामियों को ज़ाहिर कर जाता
काश कोई आईना अपना काम कर जाता

मुझे मेरी गुस्ताखीयों में लिपटी कारगुज़ारियो और
दुनियादारी में गुंथी चालाकियों
से वाबस्ता करा जाता
काश कोई आईना अपना काम कर जाता

मेरी आँखों पर पड़े परदे,  मेरी रूह पर लगे पहरे और
ज़माने की दी हुई माथे की सिलवटों को मिटा पाता
काश कोई आईना अपना काम कर जाता

वो गये हुए साल,  वो बीते हुए पल और
उन सहमे हुए लहमों को वापस ला पाता
काश कोई आईना अपना काम कर जाता

मुझे मेरे 'आप'  से रूबरू करा जाता
काश कोई आईना अपना काम कर जाता 

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