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Saturday 10 June 2017

क्या है वो अजनबी, अनजाना, अनूठा.......

क्या है वो अजनबी, अनजाना, अनूठा
थोड़ा छिपा, थोड़ा ज़ाहिर, कुदरती अजूबा

धरती और गगन के मिलन के पार
उस खूबसूरत से क्षितिज के बाद
अनदेखी अनसुनी वादियों में गूंजता
थोड़ा छिपा, थोड़ा ज़ाहिर, कुदरती अजूबा

इन्द्रधनुष जहां पैदा हुआ करते होंगे
बादल जहां जन्म लेते होंगे शायद
आसमां से ऊपर, कोई चमत्कारी नज़ारा
थोड़ा छिपा, थोड़ा ज़ाहिर, कुदरती अजूबा

उजालों से उजला उजाला, अँधेरे से काला अंधेरा
गहराईयों से गहरी गहराईयां, ऊंचाइयों से ऊंची ऊंचाईयां
नापी जा सकने वाली दूरियों से दूर
थोड़ा छिपा, थोड़ा ज़ाहिर, कुदरती अजूबा

सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी
असंभव लेकिन चिर सम्भव
मिटता नहीं, सिमटता नहीं
दिखता नहीं, लेकिन गायब नहीं
थोड़ा छिपा, थोड़ा ज़ाहिर, कुदरती अजूबा

नवीनता का सर्जक भी, पालक भी, संहारक भी
ढूंढो तो जीवन गुज़र जायें, देखो तो क्षण में पा लो
फलसफों की हद से दूर, एक ही है वो हुज़ूर
थोड़ा छिपा, थोड़ा ज़ाहिर, कुदरती अजूबा

क्या है वो अजनबी, अनजाना, अनूठा
थोड़ा छिपा, थोड़ा ज़ाहिर, कुदरती अजूबा

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