Total Pageviews

Thursday 16 March 2017

चलो ढूंढते हैं.........

चलो ढूंढते हैं
कोई रात ऐसी
सुबह जिससे दूर ना हो

चलो ढूंढते हैं
कोई रास्ता ऐसा
जिसपे हरियाली हो, पतझड़ ना हो
कोई हमसफ़र ऐसा
मंज़िल पाने की जिसे जल्दी ना हो

चलो ढूंढते हैं
कोई मंज़िल ऐसी
जहां सच पे कोई बंदिश ना हो
कोई मुक़ाम ऐसा
आंधियों में भी जहां चिराग गुल ना हों

चलो ढूंढते हैं
कोई दुनिया ऐसी
जहां मुसकुराहटें हो,  शिकन न हो
कोई मज़हब ऐसा
जिसमें प्यार हो, बैर ना हो

चलो ढूंढते हैं
कोई रिश्ता ऐसा
एतबार हो,  शक ना हो
कोई प्यार ऐसा
जहां हार, जीत का जिक्र ना हो

चलो ढूंढते हैं
कोई दुश्मन ऐसा
जिससे रंजिश हो,  नफरत ना हो
कोई दोस्त ऐसा
ईमान पे जिसके,  कोई शक़ ना हो

चलो ढूंढते हैं
कोई खेत, खलिहान ऐसा
जिसमें मजबूर किसान ना हो
कोई शहर,  कस्बा ऐसा
जहां भूख से कोई बेहाल ना हो

चलो ढूंढते हैं
कोई रात ऐसी
सुबह जिससे दूर ना हो

1 comment: