प्यार जब हद से गुज़र जाये तो कोई बात बने
दिलबर झूम के आगोश में आये तो कोई बात बनेसाकी़ जब आंखों से पिलाये तो कोई बात बने
उम्र भर होश न आये तो कोई बात बने
दिल की बात बिन कहे समझ जाएं तो कोई बात बने
रुख से वो ज़रा नक़ाब हटायें ते कोई बात बने
आंखें जो असली सूरतें दिखायें तो कोई बात बने
प्यार जब हद से गुज़र जाये तो कोई बात बने
दोस्त कोई दिल में उतर जाये तो कोई बात बने
दुश्मन जब अपनी पे उतर आये तो कोई बात बने
ख्वाब कोई हकीकत में बदल जाये तो कोई बात बने
भूला गर भूल के घर वापस आये तो कोई बात बने
बारिश जब आंगन भिगो जाए तो कोई बात बने
मां जब सीने से लगा ले तो कोई बात बने
प्यार, दोस्ती, ईमान और इबादत
ये जज़्बात गर सुकून दे जायें तो कोई बात बने
प्यार जब हद से गुज़र जाये तो कोई बात बने.....
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