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Wednesday 10 May 2017

मुश्किलें जब भी मिलें, मुस्कुरा लेना........

मुश्किलें जब भी मिलें, मुस्कुरा लेना
मुस्कुराना आनंद से जैसे
माशूक ने हंस के इकरार किया हो
मानो आँखों ने ज़न्नत का दीदार किया हो
मुस्कुराना ज़रूर क्यूंकि, मुश्किलें भी घबरा जाती हैं
जब बन्दे के चेहरे पे मुस्कुराहट आ जाती है

अंधियारा जब भी हो,  एक दीपक जला लेना
जलाना विश्वास से जैसे
सूरज अपना प्रकाश फैला रहा हो
मानो उजाला अंधेरे को निगलने की ताक में हो
दीपक जलाना ज़रूर क्यूंकि, घने अंधेरे भी छंट जाते हैं
जब एक नन्हा सा दीपक अपनी रौशनी बिखेर जाता है

नींद जब गहरी आने लगे, एक सपना सजा लेना
सजाना प्यार से जैसे
जीवन की लौ प्रज्वलित हो रही हो
मानो आकांक्षाओं की नदी बह निकली हो
सपना सजाना ज़रूर क्यूंकि, नए रास्ते खुल जाते हैं
जब सपना कोई सपना नया दे जाता है

उम्मीद जब टूटने लगे, एक नयी उम्मीद जगा लेना
जगाना ऐतबार से जैसे
सहस्रों हाथ साथ हो लिए हों
मानो आशाओं के नये बीज अंकुरित हो रहे हों
उम्मीद जगाना ज़रूर क्योंकि, आंदोलन खड़े हो जाते हैं
जब उम्मीद कोई दिल के बेहद करीब हो जाती है

तूफान जब तेज़ आने को हो, कश्ती दरिया में उतार देना
उतारना जज़्बे से जैसे
कश्ती उन्माद से टकराने को तैयार हो
मानो हवाऔं की दिशा मोड़ने को बेकरार हो
कश्ती उतारना ज़रूर क्योंकि, लहरें रास्ता छोड़ देती हैं
जब कश्ती कोई तूफ़ान को चुनौती दे रही होती है  

हार जब सामने दिखे, एक संघर्ष नया अपना लेना
अपनाना दृढ़ता से जैसे
जीवन अपने नए मायने खोज रहा हो
मानो पत्थरों पे नयी लकीरें खींचने को तैयार हो
संघर्ष अपनाना ज़रूर क्योंकि, हार भी सबक दे के जाती है
जब संघर्ष कोई ईमानदारी से निभा रहा होता है

मुश्किलें जब भी मिलें, मुस्कुरा लेना........
मुश्किलें जब भी मिलें, मुस्कुरा लेना........

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