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Thursday 18 May 2017

फूलों की खुशबु लिए.........

फूलों की खुशबु लिए, चांदनी में चमकते देखा
ज़िंदगी तुझे प्यार के चटक रँग, फिज़ा में भरते देखा

अजनबी चेहरों से हँस के मिले, प्यार बढ़ा के देखा
यारों से दिल मिलाया, दोस्ती का फर्ज़ निभा के देखा

देखा कि बहारों में खिले फूलों से, गुलज़ार होती है बगिया
ज़िंदगी तेरी रंगीन तबियत को, क़रीब से रंग बदलते देखा

जब भी हाथ बढ़ाया लेकिन, तेरे खुशरंग चेहरे की ओर
तुझे जाने क्यूँ, मुझसे नज़रें बचाते देखा

तेरे प्यार का अहसास तो हमेशा से था
उसे खुल कर सामने आने से झिझकते देखा

ग़र प्यार सच्चा था ऐ ज़िन्दगी, तो इज़हार में इतनी देरी क्यूँ
इंतजार के आलम में हमने, मौसमों को बदलते देखा

खुशियों की मंज़िल तक जाने के रास्ते तो मिले लेकिन
मंज़िल तक पहुंचने में हमने, मंज़िलों को बदलते देखा

तेरे नखरों, तेरी चालाकियों के सामने
मैं मजबूर हूँ, मायूस नहीं, हताश नहीं
अपनी आशाओं को तसल्ली से सहेजा है ऐ ज़िन्दगी
सावन में देर से ही सही, बादलों को बरसते देखा

राहें जब चलते चलते खुद ही थकने लगें
मोड़ जब मनमानी करने को मचलने लगें
ऐसे में तुम मेरी रहबर बन जाओ ज़िंदगी
तुम्हारा साथ से मंज़िलों को पास आते देखा

फूलों की खुशबु लिए, चांदनी में चमकते देखा
ज़िंदगी तुझे प्यार के चटक रँग, फिज़ा में भरते देखा.....


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